आईपीएल में चोटिल हो रहे खिलाड़ियो की संख्या कम होने का नाम ही नही ले रही । आईपीएल शुरू होने से पहले कई बड़े खिलाड़ी चोट की वजह से बाहर हो गए थे । आईपीएल शुरू होने के बाद भी ये सिलसिला जारी है । सबसे केन विलियमसन , जो कि आईपीएल2023 कद पहले मुक़ाबले में ही चोटिल हो गए थे और बाहर हो गए । उसके बाद से ये सिलसिला रुका ही नही । भारत के प्रमुख तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह पिछले कुछ महीनों से चोट की वजह से क्रिकेट से दूर है । चेन्नई सुपरकिंग्स के तेज गेंदबाज दीपक चहर भी पिछले मुक़ाबले में चोटिल हुए थे । BCCI ने वर्कलोड मैनेजमेंट को मद्देनजर रखते हुए खिलाड़ियो को समय समय पर विश्राम देने के मांग की थी । उंसके बावजूद भी खिलाड़ी लगातार चोटिल हो रहे है। भारतीय पूर्व खिलाड़ी और कमेंटेटर सुनील गवास्क ने इसका कारण बताया है ।
क्या बोले दिग्गज
1983 के विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे भारतीय दिग्गज सुनील गवास्कर ने सपने एक लेख में लिखा किस तरह से खिलाड़ी चोटिल हो रहे है, खासकर की तेज गेंदबाज। उन्होंने लिखा “गेंदबाजी विभाग में भी, प्रतिभा की कमी प्रतीत होती है। हालांकि यह समझ में आता है कि टी-20 प्रारूप गेंदबाजों पर बहुत कठोर है, जब बल्लेबाज उनमें फंस जाता है तो बहुत योजना और विचार की कमी चिंता का विषय है। ” उन्होंने आगे जारी रखा “तेज गेंदबाजी के लिए, जबकि कुछ संभावित तेज मध्यम तेज गेंदबाज दिखाई देते हैं, उनके लिए चोट की चिंता ऐसी चीज नहीं है जिसे नजरअंदाज किया जा सकता है। बहुत अधिक जिम का काम और बहुत कम नेट गेंदबाजी मुख्य समस्या है। जैव- यांत्रिकी विशेषज्ञों का सुझाव है कि गेंदबाजों को नेट अभ्यास में 20 से अधिक गेंद नहीं फेंकनी चाहिए, यह चौंकाने वाला है।” उन्होंने पहले की पीढ़ी को नज़र में रख कर लिखा “अगर पहले की पीढ़ी के गेंदबाज चोटिल नहीं हुए, तो यह सिर्फ इसलिए था क्योंकि उन्होंने नेट्स में बहुत अधिक गेंदबाजी की थी और जब मैच में गेंदबाजी करने की बारी आई तो उनके शरीर इसके लिए तैयार थे।”
बाउंसर में हो रही युवा बल्लेबाज़ों को तकलीफ
गवास्क ने अपने लेख में बताया किस तरह आज कल के युवा बल्लेबाज़ों को पटकी हुई गेंदो पर तकलीफ होती है । सुनील गावस्कर ने अपना पूरा करियर बिना हेलमेट के बल्लेबाज़ी कर के बिताया है । उनको छोटी गेंद का सबसे अच्छा बल्लेबाज माना जाता है । उन्होंने कहा “पिछले कुछ वर्षों में, यह ध्यान देने योग्य है कि जहां भी थोड़ी उछाल है, युवा भारतीय बल्लेबाजों ने इसका सामना करने के लिए संघर्ष किया है। उन्हें कमर के ऊपर आने वाली गेंद से निपटने में मुश्किल होती है। असुविधा स्पष्ट है और यही है।” अगर बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट खेलने की इच्छा रखता है तो यह कभी भी अच्छा संकेत नहीं है, जहां मैदान कैच लेने के लिए भी तैयार है, न कि केवल रन रोकने के लिए।”